भारत में पिन कोड: एक संपूर्ण विवरण
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डाक सूचक संख्या या पोस्टल इंडेक्स नंबर (लघुरूप: पिन नंबर) एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से एक विशिष्ट सांख्यिक पहचान प्रदान की जाती है। यह संख्या भारतीय डाक विभाग द्वारा 15 अगस्त 1972 को आरंभ की गई थी। पिन कोड प्रणाली का मुख्य उद्देश्य डाक द्वारा भेजी जाने वाली सामग्री को सही गन्तव्य तक पहुंचाने में मदद करना है। भारत में पिन कोड 6 अंकों का होता है।
पिन कोड की संरचना
भारत में पिन कोड का वितरण एक संगठित ढांचे के तहत किया गया है। पिन कोड के प्रत्येक अंक का एक विशिष्ट अर्थ होता है:
पहला अंक: यह अंक भारत के क्षेत्र को दर्शाता है। पूरे देश को 9 पिन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
पहले दो अंक: यह संयोजन उपक्षेत्र या डाक वृत को दर्शाते हैं।
पहले तीन अंक: यह संयोजन जिले को दर्शाता है।
अंतिम तीन अंक: यह संयोजन सुपुर्दगी करने वाले डाकखाने का प्रतिनिधित्व करता है।
पिन कोड के क्षेत्र
भारत में निम्नलिखित 9 पिन क्षेत्र हैं:
पिन कोड 1: दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर
पिन कोड 2: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड
पिन कोड 3: राजस्थान, गुजरात, दमन और दीव, दादर और नगर हवेली
पिन कोड 4: छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गोवा
पिन कोड 5: आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, यनाम (पुदुचेरी का एक जिला)
पिन कोड 6: केरल, तमिलनाडु, पुदुचेरी (यनाम जिले के अलावा), लक्षद्वीप
पिन कोड 7: पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, मेघालय, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
पिन कोड 8: बिहार, झारखण्ड
पिन कोड 9: सैन्य डाकखाना (एपीओ) और क्षेत्र डाकखाना (एफपीओ)
विस्तृत वितरण
पिन कोड के शुरुआती 2 अंक निम्नलिखित महत्व रखते हैं:
11: दिल्ली
12 और 13: हरियाणा
14 से 16: पंजाब
17: हिमाचल प्रदेश
18 से 19: जम्मू और कश्मीर
20 से 28: उत्तर प्रदेश
30 से 34: राजस्थान
36 से 39: गुजरात
40 से 44: महाराष्ट्र
45 से 49: मध्य प्रदेश
50 से 53: आंध्र प्रदेश
56 से 59: कर्नाटक
60 से 64: तमिलनाडु
67 से 69: केरल
70 से 74: पश्चिम बंगाल
75 से 77: उड़ीसा
78: असम
79: पूर्वोत्तर भारत
80 से 85: बिहार और झारखण्ड
पिन कोड का महत्व
पिन कोड प्रणाली ने भारतीय डाक व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है। यह न केवल डाक छंटाई की प्रक्रिया को सरल बनाता है, बल्कि सही गंतव्य तक सामग्री पहुंचाने में भी मददगार साबित होता है। पिन कोड की शुरुआत के बाद से, डाक सेवा की विश्वसनीयता और गति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
निष्कर्ष
पिन कोड प्रणाली भारतीय डाक व्यवस्था की रीढ़ है। यह प्रणाली न केवल डाक की सटीकता और विश्वसनीयता को बढ़ाती है, बल्कि समय की बचत भी करती है। भारत में पिन कोड की संरचना और वितरण एक संगठित ढांचे के तहत की गई है, जिससे डाक व्यवस्था में उत्कृष्टता प्राप्त हुई है।