सिंधु जल संधि: भारत की उदारता का फायदा उठाता पाकिस्तान

यात्रा (TRAVEL)

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4/25/20251 मिनट पढ़ें

भूमिका: एक असंतुलित समझौता

1960 में हुई सिंधु जल संधि (IWT) भारत की ओर से की गई एक बड़ी भूल थी, जिसमें हमने पाकिस्तान को अपने ही जल संसाधनों का 70% हिस्सा दे दिया। यह समझौता नेहरू सरकार की कूटनीतिक कमजोरी का प्रतीक है, जिसने विभाजन के बाद भी पाकिस्तान को लगातार लाभ पहुँचाया। आज जब पाकिस्तान आतंकवाद के जरिए भारत को नुकसान पहुँचाता है, तो यह सवाल उठना लाजिमी है—क्या अब भी हम पाकिस्तान को अपनी नदियों का पानी मुफ्त में देते रहें?

23 अप्रैल 2025 को, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने इस संधि को निलंबित कर दिया, जो एक साहसिक और जरूरी कदम था।

संधि के प्रावधान: भारत के साथ धोखा

सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों को दो भागों में बाँटा गया:

1. पूर्वी नदियाँ (भारत का हिस्सा, लेकिन सीमित उपयोग)

  • सतलज, ब्यास, रावी

  • कुल जल: 41 बिलियन क्यूबिक मीटर (सिर्फ 30%)

  • समस्या: भारत इन नदियों का पूरा उपयोग नहीं कर पाया, जबकि पाकिस्तान ने चुपके से इनके भूजल का दोहन किया।

2. पश्चिमी नदियाँ (पाकिस्तान का हिस्सा, लेकिन भारतीय भूभाग से गुजरती हैं)

  • सिंधु, चिनाब, झेलम

  • कुल जल: 99 बिलियन क्यूबिक मीटर (70%)

  • धोखा: ये नदियाँ जम्मू-कश्मीर से निकलती हैं, फिर भी पाकिस्तान को इन पर पूरा अधिकार मिला!

विडंबना: जिस पाकिस्तान ने कश्मीर पर अवैध कब्जे की कोशिश की, उसे हमने अपनी नदियों का अधिकार दे दिया!

इतिहास: नेहरू की भूल, आज का संकट

1947 के बाद पाकिस्तान ने जल संकट का रोना रोया, जबकि उसके पास पहले से ही सिंधु नदी का बड़ा हिस्सा था। 1960 में, नेहरू ने विश्व बैंक के दबाव में आकर यह संधि स्वीकार कर ली, जिसमें:

  • भारत ने पाकिस्तान को 62 मिलियन पाउंड दिए (जो आज के हिसाब से हजारों करोड़ रुपये के बराबर है)।

  • पाकिस्तान को विश्व बैंक से भारी कर्ज़ और अनुदान मिला, जबकि भारत को कुछ नहीं।

सवाल: क्या किसी देश ने अपने दुश्मन को इतना उदार समर्थन दिया है?

पाकिस्तान की छलपूर्ण रणनीति

पाकिस्तान ने कभी इस संधि का पालन ईमानदारी से नहीं किया:

1. आतंकवाद को बढ़ावा देते हुए जल का दावा

  • 2016 उरी हमला, 2019 पुलवामा हमला, 2025 पहलगाम हमला—हर बार पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भारतीय सैनिकों और नागरिकों को मारा, लेकिन फिर भी हम उन्हें पानी देते रहे!

  • 2019 में नितिन गडकरी ने कहा था: "हम पाकिस्तान को जाने वाला पानी रोक देंगे," लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

2. भारतीय जल परियोजनाओं में अड़ंगे

  • किशनगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट और बगलिहार बाँध पर पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों में केस किया, जबकि ये परियोजनाएँ संधि के अनुकूल थीं।

  • तुलबुल परियोजना (झेलम नदी) को पाकिस्तान ने दशकों से रोक रखा है।

3. गुप्त रूप से जल चोरी

  • पाकिस्तान ने रावी और सतलज के भूजल का अवैध दोहन किया, जो संधि का उल्लंघन है।

  • LBOD (लेफ्ट बैंक आउटफॉल ड्रेन) प्रोजेक्ट के जरिए पाकिस्तान ने गुजरात के कच्छ में बाढ़ की समस्या पैदा की।

2025: भारत का ऐतिहासिक फैसला

23 अप्रैल 2025 को, पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। यह फैसला कई मायनों में ऐतिहासिक है:

  1. रावी नदी का पानी पूरी तरह रोका गया, जिससे पाकिस्तान को करोड़ों लीटर पानी का नुकसान होगा।

  2. जम्मू-कश्मीर में नई जल परियोजनाएँ शुरू की जाएँगी, ताकि भारत अपने हिस्से का पूरा पानी इस्तेमाल कर सके।

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