सैंजय बंगार: क्रिकेट की दुनिया का एक अनमोल हीरा
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शुरुआती दिन: एक सपने की नींव
सैंजय बंगार का जन्म 11 अक्टूबर 1972 को महाराष्ट्र के छोटे से शहर बीड में हुआ। उनके पिता बापूसाहेब बंगार ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया। क्रिकेट के प्रति उनका प्यार बचपन से ही था, लेकिन उन्होंने पढ़ाई को भी कभी नज़रअंदाज़ नहीं किया। औरंगाबाद के सेंट फ्रांसिस डी सेल्स स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही उनकी क्रिकेट प्रतिभा निखरने लगी। बाद में उन्होंने मुंबई के रामनिरंजन झुनझुनवाला कॉलेज से कॉमर्स की डिग्री हासिल की और कंपनी सेक्रेटरी की पढ़ाई भी की। लेकिन उनका दिल तो क्रिकेट में ही बसता था!
खेल करियर: संघर्ष से सफलता तक
सैंजय बंगार ने अपने करियर की शुरुआत महाराष्ट्र और मुंबई की युवा टीमों से की, लेकिन असली पहचान उन्हें रेलवे क्रिकेट टीम के लिए खेलते हुए मिली। वह एक ऐसे ऑलराउंडर थे जो न सिर्फ मजबूत बल्लेबाजी करते थे, बल्कि मध्यम गति से गेंदबाजी करके विपक्षी टीमों को परेशान भी करते थे।
रणजी ट्रॉफी में धमाल
2000-01: रेलवे पहली बार फाइनल में पहुँची, लेकिन बड़ौदा से हार गई।
2001-02: अगले ही साल, रेलवे ने बड़ौदा को हराकर पहली बार रणजी ट्रॉफी जीती! यह ऐतिहासिक जीत थी।
2004-05: कप्तान बनकर उन्होंने रेलवे को दोबारा रणजी और ईरानी ट्रॉफी जितवाई।
2005-06: रणजी वनडे चैंपियनशिप में भी रेलवे को जीत दिलाई।
भारत के लिए यादगार पल
2001 में उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू का मौका मिला। लेकिन उनका सबसे शानदार प्रदर्शन 2002 के इंग्लैंड दौरे पर आया। हेडिंग्ले टेस्ट में उन्होंने ओपनिंग करते हुए 68 रन की बेहद धैर्यपूर्ण पारी खेली और साथ ही दो अहम विकेट लेकर भारत को जीत दिलाई। यह मैच भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है!
2003 विश्व कप: वह उस भारतीय टीम का हिस्सा थे जो फाइनल तक पहुँची। हालाँकि वह ज़्यादा मौके नहीं मिले, लेकिन टीम में उनकी मौजूदगी ने सभी को प्रेरित किया।
आईपीएल में भी छाई धमाकेदार छाप!
2008: डेक्कन चार्जर्स के लिए खेले।
2009: कोलकाता नाइट राइडर्स का हिस्सा बने।
2013 में उन्होंने संन्यास ले लिया, लेकिन क्रिकेट से उनका नाता टूटा नहीं।
कोचिंग करियर: नई पीढ़ी को गढ़ने का जुनून
आईपीएल में सफलता की कहानी
2014: किंग्स XI पंजाब के सहायक कोच बने, लेकिन जल्द ही हेड कोच की ज़िम्मेदारी मिली। उनकी अगुवाई में टीम फाइनल तक पहुँची!
2021: RCB के कंसल्टेंट बने और टीम को प्लेऑफ़ तक पहुँचाया।
2022: RCB के हेड कोच बनाए गए। टीम ने शानदार प्रदर्शन किया।
2023: पंजाब किंग्स के क्रिकेट डेवलपमेंट हेड बने।
भारतीय टीम को दिया नया आयाम
2014 से 2019 तक वह भारतीय टीम के बल्लेबाजी कोच रहे। उनके मार्गदर्शन में:
विराट कोहली, रोहित शर्मा, केएल राहुल जैसे खिलाड़ियों ने नए मुकाम हासिल किए।
भारत ने 30 टेस्ट मैच जीते और 150 से ज़्यादा शतक बनाए।
2018-19 में ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज़ जीती!
हालाँकि 2019 विश्व कप के बाद उन्हें कोचिंग टीम से हटा दिया गया, लेकिन उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
आज भी जारी है क्रिकेट की सेवा
सैंजय बंगार आज भी पंजाब किंग्स के साथ जुड़े हैं और युवा खिलाड़ियों को तराशने में जुटे हुए हैं। उनका सफर हर उस खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है जो सपने देखता है और मेहनत से उन्हें पूरा करता है।
क्यों खास हैं सैंजय बंगार?
एक मध्यमवर्गीय परिवार से आकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचे।
खिलाड़ी और कोच दोनों रूप में सफल रहे।
शांत स्वभाव, लेकिन जुनून से भरपूर।
भारतीय क्रिकेट को नई दिशा देने वालों में से एक।
वह सच्चे अर्थों में क्रिकेट के सच्चे सिपाही हैं, जिन्होंने हमेशा टीम को स्वार्थ से ऊपर रखा। आने वाली पीढ़ियाँ उनसे प्रेरणा लेती रहेंगी! 🏏