खाड़ी देशों में गोबर का निर्यात व्यवसाय: पूरी गाइड

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5/9/20251 मिनट पढ़ें

a close up of small plants growing in dirt
a close up of small plants growing in dirt

पिछले कुछ वर्षों में खाड़ी देशों (कुवैत, सऊदी अरब, यूएई, कतर) में भारतीय गोबर की मांग तेजी से बढ़ी है। कुवैत ने हाल ही में 192 मीट्रिक टन गोबर का आयात किया, और अन्य अरब देश भी भारत से बड़ी मात्रा में गोबर खरीद रहे हैं। यह मांग मुख्य रूप से खजूर की खेती में गोबर के उपयोग के कारण बढ़ी है, क्योंकि शोध से पता चला है कि गोबर से खजूर के पेड़ों की पैदावार और गुणवत्ता दोनों बढ़ती है।

यदि आप भी इस लाभदायक व्यवसाय में प्रवेश करना चाहते हैं, तो यहां पूरी स्टेप-बाय-स्टेप गाइड दी जा रही है:

1. मार्केट रिसर्च और व्यवसाय योजना

क) मांग का विश्लेषण

  • खाड़ी देशों में गोबर की मांग किस रूप में है?

    • सूखा गोबर (कंपोस्ट/खाद)

    • गोबर केक (धार्मिक और कृषि उपयोग)

    • गोबर पाउडर (जैविक खेती के लिए)

    • गोबर से बने अन्य उत्पाद (अगरबत्ती, धूप, जैविक कीटनाशक)

  • कौन खरीद रहा है?

    • खजूर उत्पादक किसान

    • जैविक खाद कंपनियाँ

    • आयुर्वेदिक और हर्बल उत्पाद निर्माता

ख) प्राइसिंग और प्रॉफिट मार्जिन

  • भारत में गोबर की कीमत: ₹20-50/किलो (स्थान और गुणवत्ता के अनुसार)

  • खाड़ी देशों में बिक्री मूल्य: ₹100-300/किलो (शिपिंग और मार्केट डिमांड के आधार पर)

  • एक कंटेनर (20-25 टन) से अनुमानित कमाई: ₹5-10 लाख तक

2. सप्लाई चेन और सोर्सिंग

क) गोबर का स्रोत ढूँढना

  • गौशालाओं से सीधा सम्पर्क (सस्ता और भरोसेमंद स्रोत)

  • डेयरी फार्म और ग्रामीण इलाकों से खरीद

  • किसान सहकारी समितियों (FPOs) के साथ टाई-अप

ख) प्रोसेसिंग और पैकेजिंग

  • सुखाने की प्रक्रिया: धूप में सुखाकर नमी कम करें।

  • गोबर केक बनाना: मशीन या हाथ से पाट बनाकर।

  • पैकिंग: जलरोधक बैग/कंटेनर में पैक करें ताकि नमी न लगे।

3. एक्सपोर्ट लाइसेंस और कानूनी प्रक्रिया

क) जरूरी दस्तावेज

  1. आयात-निर्यात कोड (IEC) – DGFT से प्राप्त करें।

  2. APEDA रजिस्ट्रेशन (कृषि उत्पाद निर्यात के लिए अनिवार्य)।

  3. फाइटोसैनिटरी सर्टिफिकेट (यह सुनिश्चित करता है कि गोबर में कीटाणु नहीं हैं)।

  4. GST और बिजनेस रजिस्ट्रेशन

ख) कस्टम नियम

  • कुछ देशों में जैविक प्रमाणपत्र (Organic Certification) की आवश्यकता होती है।

  • हालाल सर्टिफिकेशन (यदि गोबर का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा)।

4. लॉजिस्टिक्स और शिपमेंट

क) ट्रांसपोर्टेशन विकल्प

विधिसमयलागत (प्रति किलो)

समुद्री मार्ग (Sea Freight)15-30 दिन₹10-20

एयर कार्गो3-7 दिन₹80-150

ख) शिपिंग कंपनी चुनने के टिप्स

  • फ्रेट फॉरवर्डर से बात करें जो एक्सपोर्ट में अनुभवी हो।

  • कंटेनर बुकिंग समय पर करें ताकि डिलीवरी में देरी न हो।

  • इंश्योरेंस लेना न भूलें।

5. मार्केटिंग और ग्राहक ढूँढ़ना

क) B2B प्लेटफॉर्म्स

  • Alibaba, ExportersIndia, TradeIndia पर प्रोडक्ट लिस्ट करें।

  • लिंक्डइन और इंटरनेशनल ट्रेड शो में नेटवर्किंग करें।

ख) सीधे खरीदारों से संपर्क

  • खाड़ी देशों की एग्रीकल्चर कंपनियों को मेल भेजें।

  • भारतीय दूतावासों के वाणिज्यिक विभाग से सहायता लें।

ग) सोशल मीडिया प्रचार

  • YouTube, Instagram, Facebook पर गोबर उत्पादों की मार्केटिंग करें।

  • गूगल एड्स और SEO का उपयोग कर वेबसाइट बनाएँ।

6. चुनौतियाँ और समाधान

समस्यासमाधानक्वालिटी कंट्रोलगोबर को अच्छी तरह सुखाकर और साफ करके भेजें।कस्टम अड़चनसही दस्तावेज और सर्टिफिकेट पहले से तैयार रखें।कॉम्पिटिशनब्रांडिंग और गुणवत्ता पर ध्यान दें।

7. सफलता की कहानी: चंद बाशा (आंध्र प्रदेश)

चंद बाशा ने गोबर से जैविक खाद, गोबर केक और आयुर्वेदिक उत्पाद बनाकर सिंगापुर, दुबई और अमेरिका में एक्सपोर्ट शुरू किया। आज उनका मासिक टर्नओवर ₹10 लाख+ है।

निष्कर्ष: क्या यह व्यवसाय आपके लिए सही है?

कम निवेश, ज्यादा मुनाफा
पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ बिजनेस
भारत सरकार की एक्सपोर्ट सब्सिडी का लाभ

यदि आप कृषि, निर्यात या ग्रामीण उद्यमिता में रुचि रखते हैं, तो गोबर निर्यात व्यवसाय एक बेहतरीन अवसर हो सकता है!

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